सहचर है समय

सहचर है समय
Author | रामदरश मिश्र |
Year of Issue | 2014 |
Publication Name | परमेश्वरी प्रकाशन |
Link | https://www.amazon.in/-/hi/dp/8188121282 |
Description
सहचर है समय रामदरश मिश्र का समय को सहचर मानना प्रकारांतर से 'स्व' और 'समय' के संबंधों की द्वंद्वात्मकता और सामंजस्य की ओर संकेत करता है । इस आत्मवृत्त से एक ओर कछार के अंचल में बीते बचपन से लेकर वाराणसी में उच्च शिक्षा, जीविका-संघर्ष, गुजरात-प्रवास, दिल्ली- आगमन, बहुआयामी रचनाशीलता और दिल्ली के साहित्यिक परिवेश से जुड़े मार्मिक प्रसंगों का जुलूस उमड़ पड़ा है, दूसरी ओर इसी के समानांतर स्वतंत्रता-पूर्व का ग्रामीण परिवेश, स्वतंत्रता और जनतांत्रिक आकांक्षाएँ, व्यवस्था के अंतर्विरोध, अध्यापन-जगत की राजनीति, भारत-पाक युद्ध, आपातकाल, इंदिरा गाँधी का निधन, सिख-विरोधी हिंसा यानी कि पचास वर्षों का जीवंत इतिहास अपनी अनेक विशेषताओं और कुरूपताओं के साथ उभरा है ।