मेरा लेखन
कविता

हम हो गए स्वयं खुशबूघर
मिश्र जी की काव्य कला का कोई जोड़ नहीं है या पुस्तक इस बात को प्रमाणित कर देगी |

समय जल-सा
मिश्र जी जितने सहज व्ययक्ति हैं उतनी ही सहज उनकी कविताएं भी हैं | उनकी कविताओं को समझने के लिए अलग

75 कविताएं
मिश्र जी की काव्य कला बेजोड़ है जिसका मुकाबला हिन्दी साहित्य में तो क्या विश्व साहित्य में भी उपलब