मेरा लेखन

कविता

मैं तो यहाँ हूँ

आम के पत्ते

प्रतिनिधि कविताएँ

पचास कविताएँ

समवेत

प्रतिनिधि कविताएँ

हवाएँ साथ हैं

आग की हँसी

कंधे पर सूरज

बैरंग बेनाम चिट्ठियाँ

और एक दिन

धूप के टुकड़े

समकालीन हिंदी कविताएँ

ऐसे में जब कभी

बारिश में भीगते बच्चे

पक गयी है धूप

कभी कभी इन दिनों

दिन एक नदी बन गया

आग कुछ नहीं बोलती

उस बच्चे की तलाश में

जुलूस कहॉ जा रहा है ?

कवि के मन से

रात सपने में

हम हो गए स्वयं खुशबूघर

मिश्र जी की काव्य कला का कोई जोड़ नहीं है या पुस्तक इस बात को प्रमाणित कर देगी |

समय जल-सा

मिश्र जी जितने सहज व्ययक्ति हैं उतनी ही सहज उनकी कविताएं भी हैं | उनकी कविताओं को समझने के लिए अलग

75 कविताएं

मिश्र जी की काव्य कला बेजोड़ है जिसका मुकाबला हिन्दी साहित्य में तो क्या विश्व साहित्य में भी उपलब

50 कविताएं

पथ के गीत

यह संग्रह मिश्र जी का पहला काव्य संग्रह है |