मेरा लेखन
गजल

तू ही बता ऐ ज़िंदगी
रामदरश मिश्र का यह तीसरा गजल संग्रह है | जिसमें भाषा और कथ्य दोनों में इतनी विविधता है की कोई कह ही

सपना सदा पलता रहा
मिश्र जी की इन गज़लों में भाषा और कथ्य दोनों में इतनी विविधता है जो कहीं देखने को नहीं मिलती |

आज धरती पर झुका आकाश
मिश्र जी की इन गज़लों में भाषा और कथ्य दोनों में इतनी विविधता है जो कहीं देखने को नहीं मिलती की कोई

खुले मेरे ख्वाबों के पार धीरे धीरे
यह मिश्र जी की चुनी हुई गज़लों का संग्रह है | जीसे ओम निश्चल ने संपादित किया है |

सपना सदा पलता रहा
मिश्र जी की गजलगोई बेजोड़ है जिसका मुकाबला हिन्दी साहित्य में तो क्या विश्व साहित्य में भी उपलब्ध
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तू कहाँ है
यह मिश्र जी का नवीनतम गजल संग्रह है | जिसमें भाषा और कथ्य दोनों में इतनी विविधता है की कोई कह ही नह

खुले मेरे ख्वाबों के पर धीरे-धीरे
लीक से हटकर लिखने वाले मिश्र जी की गजलें भी लीक से हटकर ही होती हैं |