मेरा कमरा

मेरा कमरा
मिश्र जी की डायरी लेखन कला इतनी मजबूत और ससक्त है की उनकी भाषा अपने आप में बहता नीर हो जाती है |
Author | रामदरश मिश्र |
Year of Issue | 2016 |
Publication Name | हंस प्रकाशन |
Link | https://www.exoticindiaart.com/book/details/my-room-uaj543/ |
Description
कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, निबंधकार, संस्मरण-लेखक, समीक्षक रामदरश मिश्र ने डायरी विधा में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। 'मेरा कमरा' इनका पाँचवाँ डायरी-संग्रह है। रामदरश मिश्र का कवि व्यक्तित्व प्रकृति के उन्मुक्त प्रांगण में होकर भाव-विभोर हो जाता है। मिश्र जी की डायरी दैनंदिनी मात्र नहीं है, इसमें पूरा परिवेश बोलता है। इनकी डायरी में समीक्षा भी इनके कवि व्यक्तित्व की आभा से दीप्त हो उठती है। इनकी डायरी को पढ़ते हुए गद्य-गीत और रिपोर्ताज का आस्वाद मिलता है। प्रकृति के नाना सुंदर रूपों का सुरम्य चित्रण करने के साथ-साथ लेखक गरीबों की बदहाली पर दुख प्रकट करता है। वह अपने प्रवास को स्मृतियों में पुनः जी लेता है। इसमें व्यक्त वैयक्तिकता का भी एक सामाजिक स्वर है। कभी-कभी आदमी यों ही बैठा रहता है और उसके मन में यों ही चुपचाप कितना कुछ आता-जाता रहता है चित्र-विचित्र कल्पनाएँ, सोच-विचार की तरंगें, समाज में घटित प्रसंगों पर सुखात्मक दुखात्मक प्रतिक्रियाएँ, परिवार की चिन्ताएँ, उसमें व्याप्त प्रिय-अप्रिय क्रिया-व्यापारों की प्रतिध्वनियाँ। तो पहले की डायरियों की तरह इस डायरी में भी यह सब कुछ व्याप्त है।