आस-पास
Description
'आस-पास' रामदरश मिश्र की दूसरी डायरी पुस्तक है। जैसा कि नाम से ही ज्ञात हे मिश्रजी अपनी डायरी में मुख्यतः आस-पास के जीवन को रूपायित करना चाहते हैं। 'आस-पास' में आस-पास रहने वालं सामान्य लोग भी हैं, घटित प्रसंग और क्रियाकलाप भी हैं तथा वे भी हैं जो दूर रहकर भी भावात्मक रूप से मिश्रजी के आस-पास हैं। इसमें मिश्रजी के मित्र भी हैं, शिष्य भी हैं, दूर-दूर से आने वाले शोधार्थी और साहित्यप्रेमी भी हैं। सच पूछिए तो मिश्रजी वहुत वड़े-बड़े लोगों के संपर्क से उत्पन्न गौरव-वोध या गहन दार्शनिक और काव्यशास्त्रीय चिंचनन की अभिव्यक्ति के लिए डायरी नहीं लिखते, वे तो सहज भाव से उन अनेक व्यक्तियों, प्रसंगों, रचनाओं आदि को डायरी का विषय वनाने हैं जो उन्हें सचमुच प्रभावित करते हैं। 'आस-पास' में कविता भी है, कथा भी है, यात्रावृत्त भी है और रचनाओं पर सर्जनात्मक चिंतन भी है बानी संवेदना, कल्पना और चिनन की सहज यात्राएं हैं।