सूख दुख के राग
Description
"कल बेटी स्मिता ने मेरी पुस्तक 'अभिशप्त लोक' के संबंधित साम्रगी फेसबुक पर डाल दी। वह उस पुस्तक की संपादिका है अतः मुझे उसकी इच्छा का सम्मान करना ही था। इस पुस्तक की निर्मित की भी एक कथा है। एक दिन मेरे आत्मीय डॉ. लालित्य ललित डॉ. संजीव कुमार के साथ मेरे घर पर आये। उन्होंने बताया कि संजीव जी लेखक तो हैं ही पुस्तकों का प्रकाशन भी करते हैं। हम दोनों चाहते हैं कि आप इन्हें प्रकानार्थ अपनी कोई भी पुस्तक दें। मेरे पास कोई नई पुस्तक तो थी नहीं किंतु उनका कहना था कि कुछ भी दे दीजिए। मेरे मन में एक निर्णय चमका। मैंने कहा कि मेरी कहानियों में जो कहानियाँ दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को केंद्रित कर लिखी गई हैं, उन्हें एकत्र कर एक पुस्तक बनाई जा सकती है। सबको यह बात पसंद आई। यह कार्य मैंने मेरी कहानियों की प्रथम पाठिकाएँ पत्नी सरस्वती जी और बेटी स्मिता को सौंप दिया। इन दोनों संपादिकाओं ने मेरे सहयोग से इस प्रकार की कहानियों का चुनाव किया और शीघ्र ही संजीव जी के पास भेज दिया। संजीव जी ने बहुत कम समय में इसका प्रकाशन कर मेरे पास भेज दिया। पुस्तक सादगी के सौन्दर्य से दीप्त लग रही थी। स्मिता प्रसन्न हो उठी थी और उसका मन उत्साहित हो उठा इसे फेसबुक में देने के लिए। अच्छा लगा कि अनेक लोगों ने अपनी लाइक व्यक्त की।"
- उपयुक्त पुस्तक से