घर परिवेश
Description
'घर-परिवेश' में रामदरश मिश्र की ललित गद्य रचनाएँ संगृहीत हैं। इनमें कुछ व्यक्ति-व्यंजक निबंध हैं. कुछ संस्मरण हैं, कुछ यात्रा वृत्त हैं, पत्र शैली में लिखित दो निबंध हैं, दो- एक निबंध ऐसे भी हैं जो विचार- प्रधान कहे जा सकते हैं। मिश्र जी मूलतः कवि हैं, इसलिए उनकी ललित गद्य रचनाओं में संवेदना की व्याप्ति अधिक होती है किन्तु विचार उन्हें नियंत्रित कर एक अन्विति प्रदान करता है। विचार बीच-बीच में स्वयं अपनी सघन उपस्थिति का बोध कराता रहता है। मिश्र जी एक सिद्ध कथाकार भी हैं, इसलिए वे इन निबंधों में कथा भी बुनते रहते हैं। इस प्रकार संवेदना, कथा और विचार की सहयात्रा चलती रहती है। इनमें लेखक के अंतरंग संसार की तो पर्ते खुलती ही रहती हैं बाहरी दुनिया की अन्तर्यात्रा भी होती रहती है। लेखक चाहे अपने निजी संसार की बात कर रहा हो, चाहे आसपास के संसार की: चाहे अनुभव से गुजरता हो, चाहे विचार से सर्वत्र एक गहरी आत्मीयता और विश्वसनीयता दिखाई पड़ती है। पाठक इन रचनाओं के साथ चलता हुआ कभी अपने भीतर डूबता है कभी बाहर फैलता है, कभी रस- मग्न होता है, कभी कथा-धारा में बहता है, कभी प्रश्नाकुल होता है और समग्रतः एक संकुल बोध की प्रतीतिर करता है।