बबूल और कैक्टस

बबूल और कैक्टस

Author रामदरश मिश्र
Year of Issue 1998
Publication Name इंद्रप्रस्थ प्रकाशन
Link के -71, कृष्णनगर, दिल्ली- 110051

Description

रामदरश मिश्र के निबंध एक मिश्रित भाव छोड़ते हैं। इनमें गोपनीय को प्रकट करने वाली सोत्साह उत्कटता भी है तो तमाम चीज़ों पर एक व्यक्ति की हिकारत भरी प्रतिक्रिया व्यक्त करने का भाव भी। इनमें एक ओर गाँव है-अतीत में बसा तो ठीक उसके समानान्तर शहर में छटपटाता एक बुद्धिजीवी। बुनियादी तौर पर ये निबंध कथात्मक टिप्पणियां हैं। इनमें लेखक ने कविता का उपयोग तो किया ही है-लोकचित्त को उद्घाटित कर 'लोकरस' का माधुर्य भी दिया है। कविता की रम्यधारा प्रकृति के विवरणों और त्रास को उभारने में सक्षम है। पर इन विवरणों के 'भाषिक गुण' कोई भाषाविद् ही रेखांकित कर सकता है या कोई वैयाकरण एक भाव-संसक्त भाषा को किसी नये विधान के रूप में रेखांकित भी कर सकता है। एक सामान्य पाठक के लिए ये निबंध हमारे वास्तव की ईमानदार सूचनाएं हैं। इन ईमानदार सूचनाओं में गाँव, शहर, आर्थिक वैषम्म, खंडित संयुक्त परिवार और एक सुपठित विचारक की ठिठकन व्यंजित होती है। इनमें एक भाव-जो वस्तु रूप में उभरता है यह है 'स्व' के माध्यम से समग्र के प्रति प्रतिक्रियाएं और शायद इनका लालित्य इसी भाव को संपुष्ट करने की सार्थकता से सम्पूर्ण है।

 

- डॉ. गंगा प्रसाद 'विमल'