फिर लौट आया हूॅ मेरे देश

फिर लौट आया हूॅ मेरे देश

Author रामदरश मिश्र
Year of Issue 2022
Publication Name सर्व भाषा ट्रस्ट
Link https://www.amazon.in/-/hi/Ramdarash-Mishra/dp/9393605823

Description

रामदरश मिश्र कवि, कथाकार, समीक्षक, कई रूपों में विख्यात हैं। निबन्ध- लेखन उनकी मुख्य रचना-विधा नहीं है, किन्तु समय-समय पर ये ललित निबन्ध भी लिखते रहे हैं। उनके ललित निबन्धों के अब तक चार संग्रह 'कितने बजे हैं' (1982 ई0), 'बबूल और कैक्टस' (1998 ई०), घर परिवेश (2003 ई0) और 'छोटे-छोटे सुख' (2006 ई०) प्रकाशित हो चुके हैं। श्री मिश्र के संस्कार ठेठ गाँव के हैं। गाँव, जहाँ जीवन का अक्षय राग-स्रोत निरन्तर प्रवाहित होता रहता था। अब तो गाँव भी बदल गए हैं। गाँव का जीवन भी व्यावसायिकता और राजनीति से विरूप हो गया है। अपनी ठेठ ग्रामीण संवेदना और जीवन-मूल्यों से जुड़े रहकर मिश्र जी ने आज के मनुष्य को प्रभावित करने वाले बुनियादी प्रश्नों पर विचार किया है। सांस्कृतिक मूल्यों की विद्रूपता पर क्षोभ व्यक्त किया है और सब मिलाकर मनुष्य से मनुष्य को जोड़ने वाली सहज राग-चेतना के निरंतर छीजने पर चिन्ता व्यक्त की है। उनके दूसरे निबंध संग्रह में 'बबूल' ठेठ ग्रामीण चेतना का प्रतीक हैं और 'कैक्टस' आधुनिक यांत्रिक सभ्यता का। बबूल आज भी अपनी ठेठ ग्रामीण संवेदना को संजोये श्री मिश्र को आकर्षित करता है। उन्हें दुःख इस बात का है कि अब किसान भी अपने इस चिरसखा की उपेक्षा करने लगे हैं। 'घर परिवेश' में कुल 20 निबन्ध संग्रहित हैं। निबन्धों में वैविध्य है। कुछ संस्मरणात्मक हैं, कुछ यात्रावृत्त हैं और कुछ विचार-प्रधान भी हैं। इनमें एक तत्त्व सर्वव्यापी है वह है लालित्य। 'छोटे-छोटे सुख' में कुल 15 निबन्ध संगृहित हैं।प्रायः सभी आत्म-व्यंजक हैं। शैली में वैविध्य है। इन निबन्धों में मिश्रजी अपनी ग्रामीण चेतना के साच सर्वत्र विद्यमान हैं।

प्रो. रामचंद्र तिवारी