ग्राम्य जीवन एवं रचनात्मक प्रतिभा

ग्राम्य जीवन एवं रचनात्मक प्रतिभा

Author डॉ. विंध्याचल मिश्र
Year of Issue 2014
Publication Name शिवालिक प्रकाशन
Link 27/16, शक्ति नगर, दिल्ली -110007

Description

'ग्राम्य जीवन और रचनात्मक प्रतिभा' युवा लेखक विन्ध्याचल मिश्र की नवीनतम आलोचना पुस्तक है। इस पुस्तक में श्री मिश्र ने डॉ. रामदरश मिश्र के उपन्यासों में चित्रित ग्राम्य जीवन को बहुत मनोयोग से परखा है। इस पुस्तक में मुख्य रूप से 6 अध्याय हैं जिसके अन्तर्गत युवा लेखक ने हिंदी उपन्यास की परंपरा में ग्राम्य जीवन के अंकन और उसमें शामिल हिंदी के महत्वपूर्ण उपन्यासकार डॉ. रामदरश मिश्र के उपन्यासों में व्यक्त राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक आयामों को विश्लेषित किया है।

 

ज्ञातव्य है कि साठोत्तरी हिंदी उपन्यासों में डॉ. रामदरश मिश्र के उपन्यास बहुत महत्वपूर्ण हैं और उनमें ग्राम्य जीवन का यथार्थ अपनी पूरी समग्रता में व्यक्त होता है। उनके उपन्यासों में ग्राम्य जीवन का संघर्ष किसानों की आकांक्षा और उनके जीवन की विडंबनाओं के साथ- साथ कथित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में उनके टूटते सपनों का दर्द मिलता है। ग्राम्य जीवन यथार्थ की जो परंपरा प्रेमचंद से शुरू होकर रेणु तक आयी है, उसी परंपरा का निर्वाह करते हुए डॉ. रामदरश मिश्र ने अपने उपन्यासों में भारतीय ग्राम्य जीवन के बदलते स्वरूप के बीच उसके टूटते सपनों में देखा है। विन्ध्याचल मिश्र ने इस पुस्तक में बहुत वारीकी से विश्लेषित करते हुए डॉ. मिश्र की रचनात्मक प्रतिभा को परखा है और ग्राम्य जीवन के अंकन में उनकी श्रेष्ठता को निरुपित किया है। कहना न होगा की जो लोग रामदरश मिश्र के उपन्यासों में चित्रित ग्राम्य जीवन को देखना चाहते हैं और हिंदी की औपन्यासिक परंपरा में ग्राम्य जीवन के महत्व को समझना चाहते हैं, उनके लिए यह पुस्तक सार्थक सिद्ध होगी।