रामदरश मिश्र की कहानियों में यथार्थ चेतना और मूल्य बोध

Description
स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी साहित्य न केवल पर्याप्त और समृद्ध है बल्कि उसकी अनेक छटायें और रंग भी हैं। आधुनिक भारतीय जीवन को, कहानियाँ अलग-अलग ढंग से व्याख्यापित करती रही हैं। ये व्याख्याऐ न केवल समय सापेक्ष्य हैं बल्कि कहानीकार सापेक्ष्य भी हैं। इसी कारण भिन्न भिन्न कहानीकारों की अपनी अलग-अलग पहचान है, उनके अलग-अलग पहचान समूह हैं। डॉ. रामदरश मिश्र अलग पहचान के कहानीकार हैं, उनकी पहचान किसी समूह के बीच नहीं है। मिश्रजीके कहानीकार में यथार्थ-चेतना की अनुभूति और मूल्य-बोध की प्रतीति अपने स्वतंत्र रूप में होती है, क्योंकि इन्होंने यथार्थ चेतना की भूमि पर खड़े रह कर ही उससे अंकुरित जीवन मूल्यों को अभिव्यक्ति दी है, किसी आंदोलन विशेष से जुड़कर नहीं ।
इस कृति में यथार्थ - चेतना और मूल्य बोध का विवेचन, विविध कहानी आंदोलन एवं आधुनिकता के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी कहानी, मिश्रजी की कहानियों में गाँव एवं शहर जीवन संदर्भ, विभिन्न कहानियों में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक सत्य संदर्भों की यथार्थ चेतना और जीवन मूल्यों की शोध, जीवन चरित्रों एवं शिल्प विधान का विश्लेषणात्मक प्रस्तुतीकरण है। आशा है हिन्दी जगत के पाठकों, शोधार्थियों एवं ज्ञान-पिपासुओं के लिए यह पुस्तक उपादेय सिद्ध होगी ।