हिंदी के आंचलिक उपन्यास
Description
आंचलिक उपन्यास स्वातंत्र्योत्तर काल की महत्वपूर्ण देन है। अंचल विशेष को बिम्ब बनाकर भारतीय जन-जीवन (विशेषतया ग्रामीण जन जीवन) का वर्तुल, समग्र और प्रामाणिक यथार्थ उद्घाटित्त करना आंचलिक उपन्यास की शक्ति और उपलब्धि है। प्रेमचन्द के पश्चात् इन उपन्यासों ने भारतीय गाँव की मिट्टी से फिर कथा-साहित्य को जोड़ा तथा कथा-साहित्य के कथ्य और शिल्प में एक नवीनता उपस्थित की।प्रस्तुत पुस्तक आंचलिक उपन्यास के बहुआयामी स्वरूप का विश्लेषण प्रस्तुत करती है। साथ ही इसमें हिन्दी के विशिष्ट आंचलिक उपन्यासों का मूल्यांकन भी किया गया है। आंचलिक उपन्यासों को लेकर तरह-तरह के विचार-खेमों में जाने-अनजाने तरह-तरह की भ्रान्तियां फैली हैं या फैलायी गयी हैं। आशा है, यह पुस्तक आंचलिक उपन्यास के सही स्वरूप की पहचान उभारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।