दिनचर्या

दिनचर्या

मिश्र जी की ककनी कला अत्यंत मजबूत है और समृद्ध भी जहाँ भाषा की कसावत है तो वहीं भावों का ए अजस्र सो

Author रामदरश मिश्र
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Description

मिश्र जी की ककनी कला अत्यंत मजबूत है और समृद्ध भी जहाँ भाषा की कसावत है तो वहीं भावों का ए अजस्र सोता भी उनकी कहानियों में लगातार बहता राहत हे और अपने पाठक को कहानी से बंधे राहत है | कोई भी उनकी कहानियों को पढ़ते हुए यह नाही कह सकता की यह कहानी मैं कल पढ़ूँगा जी भी कहानी को शुरू करता है फिर बिना कहानी खत्म किए नहीं रुकता |