लम्हे बोलते हैं

लम्हे बोलते हैं
अपने लघु रूप में भी मुक्तक इतने मारक होते हैं जिसकी तुलना ही नहीं की जा सकती | उस पर मिश्र जी के मुक्
Author | रामदरश मिश्र |
Year of Issue | 2014 |
Publication Name | |
Link | https://hindibook.com/index.php?p=sr&format=fullpage&Field=bookcode&String=9788185256580 |
Description
हिन्दी साहित्य में अभिव्यक्ति की सबसे छोटी और मजबूत विधा मुक्तक हैं | अपने लघु रूप में भी मुक्तक इतने मारक होते हैं जिसकी तुलना ही नहीं की जा सकती | उस पर मिश्र जी के मुक्तक तो नाविक के तीर से भी ज्यादा पैने हैं जो सीधे ही ह्रदय की गहराइयों में उतार जाते हैं | ह्रदय में वे इस भांति जगह बनाते हैं मानों वे सद्य से ही वहीं के लिए बने थे सदा से ही वहीं स्थापित थे |