समय जल-सा

समय जल-सा
मिश्र जी जितने सहज व्ययक्ति हैं उतनी ही सहज उनकी कविताएं भी हैं | उनकी कविताओं को समझने के लिए अलग
Author | रामदरश मिश्र / संपादक ओम निश्चल |
Year of Issue | 2025 |
Publication Name | सर्व भाषा ट्रस्ट |
Link | https://www.amazon.in/SAMAY-JAL-SA-Ramdarash-Mishra/dp/9348013645 |
Description
रामदरश मिश्र का कवि उक्ति-वैचित्र्य का नहीं, सहजता और जीवन-राग का कवि है। रामदरश जी ने कविताओं में बारीकी बीनाई की बजाय जीवन को समग्रता में देखने की प्रविधि विकसित की और आज तक अपने उसी कौल पर डटे हुए हैं। जिन अर्थों में केदारनाथ सिंह अपने को पुरबिहा कवि कहने में फ़ख्र महसूस करते हैं वही पुरबिहापन रामदरश जी के यहाँ मौजूद है कथ्य और अंदाजेबयाँ के फर्क के साथ; जो शहर की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी से समरस नहीं हो पाता। एक मतलबी दुनिया उसे इर्द-गिर्द दिखाई देती है और वह पाता है कि उसके गँवई जीवनानुभवों की कोमल पाटी पर शहरी आघातों के निशान बनते जा रहे हैं। सच कहें तो रामदरश जी की कविताएँ इन्हीं आघातों-प्रत्याघातों की साखी हैं।
मिश्र जी जितने सहज व्ययक्ति हैं उतनी ही सहज उनकी कविताएं भी हैं | उनकी कविताओं को समझने के लिए अलग से ग्रंथ पढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ती | वे जो देखते हैं जो सोचते हैं जो समझते हैं वही उनकी कलम भी बोलती है संभवत इसी लिए उनकी कविताएं इतनी सहज बन जाती हैं |