75 कविताएं

Description
मिश्र जी का मानना है की जब तक कविता किसी की पीड़ा को किसी की प्रसन्नता को अभिव्यक्त न कर सके तब तक वह कविता है ही नहीं | कविता कविता तभी बन सकती है जब उसमें सामान्य जान का दर्द हो उसकी पीड़ा का चित्रण हो अन्यथा वह कविता कविता नहीं है कोर बयान है | मिश्र जी की काव्य कला बेजोड़ है जिसका मुकाबला हिन्दी साहित्य में तो क्या विश्व साहित्य में भी उपलब्ध नहीं है |