आम के पत्ते
Description
'आम के पत्ते' रामदरश मिश्र का दसवां काव्य-संग्रह है। इसमें उनकी जीवन-यात्रा के आठवें दशक के उत्तरार्ध के अनुभवों और सोच की कविताएं हैं, फिर भी इनमें अद्भुत ताजगी है। ताजगी का कारण यही है कि अभी भी कवि का अनुभव-तंत्र * जाग्रत है और उनका चिन्तन अपने समय और परिवेश की समस्याओं से मुठभेड़ करता है। इधर मिश्रजी ने घर-आंगन तथा आसपास की अनेक छोटी-छोटी वस्तुओं पर कविताएं लिखी हैं। उन्हें मानव-जीवन से जुड़ी सामान्य और निर्जीव वस्तुओं में भी गहरी संवेदना की प्रतीति हुई है और उसे उन्होंने बड़ी सहज और सादी भाषा तथा शिल्प में मूर्त किया है। इस संग्रह में ऐसी कविताओं की छवियां विशेष रूप से द्रष्टव्य हैं। ये कविताएं वास्तव में कवि की उस मंजिल का द्योतक हैं जहां पहुंचने पर उसकी वस्तु और संरचना दोनों में अद्भुत सादगी आ जाती है। सत्य निराडंबर होकर स्वयं अपना श्रृंगार बन जाता है। 'आम के पत्ते' शीर्षक भी उसी सादगी का परिचायक है।