आदिम राग

आदिम राग

Author रामदरश मिश्र
Year of Issue 2008
Publication Name वाणी प्रकाशन ग्रुप
Link https://www.vaniprakashan.com/home/product_view/4385/Aadim-Raag

Description

एक दिन बाबूजी बौखलाये हुए आये.. देखो न इस मास्टर की हिमाकत, मेरी लड़की से शादी करेगा। यह मुंह और मसूर की दाल... मैंने यहां उसकी नौकरी लगाई, लोगों के उपद्रव के बावजूद उसे यहां लगाए रखने की बार-बार कोशिश की तो इसका मन बढ़ गया। मैंने अपनी लड़की की थोड़ा पढ़ा देने को कहा तो समझता है कि मैंने अपनी लड़की ही दे दी उसे। कमीना, जिस पत्तल में खाता है, उसी में छेद करता है... हेंह, शादी करेंगे मेरी लड़की से ! शीशे में अपना मुंह नहीं देखा है। मेरी शारदा से शादी करेंगे, दरिद्र कहीं के। घर का बेंवत नहीं देखते। डेढ़ सौ रुपल्ली पाते हैं। वो भी मेरी मरजी से तो मेरी बेटी से शादी पर उतारू हो गए।... पाठक-साठक कोई बाभन होने हैं, 'बभने में नान्ह जात पाठक उपधिया'। मैं नहीं जानता था कि ये मेरी बेटी को पढ़ाते हैं तो बदले में मेरी बेटी ही मांग लेंगे। पढाया है तो फीस ले लें। फीस देने की बात कही थी तो लगा था आदर्श झाड़ने, मैं नही जानता था कि यह सारा आदर्श इसलिए है। अब स्कूल से निकलवाता हूं और ऐसी चिट्ठी लिखता हूं कि बच्चू याद करेंगे।

 

इसी पुस्तक से