अपने अपने रास्ते

अपने अपने रास्ते

Author रामदरश मिश्र
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Description

'अपने-अपने रास्ते' अनेक वरिष्ठ और कुछ कनिष्ठ लेखकों के संबंध में लिखे गये संस्मरणों का संग्रह है। 'मेरी माँ' तथा 'एक और वापसी' जैसे शुद्ध पारिवारिक संस्मरण भी हैं। सिद्ध कवि एवं कथाकार रामदरश मिश्र 'स्मृतियों के छन्द' तथा 'पड़ोस की खुशबू' के संस्मरणों के माध्यम से संस्मरण विधा में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करा चुके थे। 'अपने-अपने रास्ते' के संस्मरण उसी क्रम में अगली कड़ी के रूप में देखे जा सकते हैं। रामदरश मिश्र के संस्मरणों की अपनी शक्ति तो है ही, अपनी अलग पहचान भी है। संस्मरण लेख एक ओर संस्मर्ण्य व्यक्तियों की छवियाँ खोलते हैं दूसरी ओर वे अपने लेखक के व्यक्तितव को भी संकेतित करते हैं। बहादुरी के नाम पर संस्मर्ण्य व्यक्तित्वों की खिल्ली उड़ाने वाले लेखक स्वयं अपने छिछोरेपन का परिचय देते हैं। सच बात तो यह है कि संस्मरण उन्हीं का लिखा जाना चाहिए जो किसी भी स्तर पर हमारे समाज, संस्कृति और साहित्य को कोई छवि प्रदान करते हैं। वे भी मनुष्य हैं उनमें भी कमजोरियाँ होती हैं। लेखक उनकी ओर भी संकेत करता है परन्तु सभ्य ढंग से मिश्र जी ने अपने संस्मरणों में इसी मार्ग को अपनाया है।

 

मिश्र जी का कवि, कथाकार और आलोचक तीनों एक माथ इन साहित्यकारों के रूबरू होते हैं। इसलिए इन संस्मरणों में संस्मर्ण्य व्यक्तियों के जीवन की छोटी-छोटी कथाएँ भी होती हैं, रागात्मक अनुभवों के बिम्ब भी होते हैं और उनके साहित्य की छवियों की पहचान भी होती है। और यह सब बहुत सहज भाव से होता है, सहज भाषा में होता है। इसलिए ये संस्मरण सहज ही पाठक को अपने साथ ले लेते हैं और धीरे-धीरे उसमें वांछित प्रभाव उतारते चलते हैं।