सर्जना ही बड़ा सत्य है
Description
"मैंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से बी.ए. कर लिया था और उसी वर्ष विभागीय अध्यक्ष और परम पंडित केशव प्रसाद मिश्र ने अवकाश ग्रहण कर लियाI केशव जी कविता के गहरे मर्मज्ञ भी थेI उन्होंने बी.ए. में हमें कामायनी का ‘लज्जा सर्ग’ पढाया था,वह अद्भुत था I लगता है कि उनकी व्याख्या का सौंदर्य ,अभी भी मेरे मन में गूँज रहा हैI उनके अवकाश ग्रहण के बाद एम.ए. में प्रवेश लेने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय चला गयाI वहाँ नाम लिखा कर सहज भाव से बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय लौटा तो मेरे परम शुभचिंतक और विद्वान प्रोफेसर डॉ राजबली पाण्डेय मिल गएI उन्होंने पूछा कि नाम लिखा लिया?मैंने कहा –हाँ! इलाहाबाद विश्वविद्यालय मेंI उन्होंने नाराज़गी से कहा –तुमने ये क्या किया! यहाँ सारे प्रोफेसर तुम्हारी प्रतिभा से परिचित हैं, तुम्हारी प्रतिभा ऊंची सफलता प्राप्त करेगीI इलाहाबाद में तुम्हें कौन जानता है? मैं उनके कथन से प्रभावित हो ही रहा था कि एकाएक उन्होंने कहा – ‘और यहाँ हिंदी विभागाध्यक्ष होकर आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी आ रहे हैंI’द्विवेदी जी का नाम सुनते ही मै उल्लासित हो गया और एकाएक निर्णय कर लिया कि अब यहीं रहना है I " -इस पुस्तक से ।