स्वप्न भंग

स्वप्न भंग

Author रामदरश मिश्र
Year of Issue 2013
Publication Name प्रतिभा प्रतिष्ठान
Link https://www.amazon.in/-/hi/Ram-Darash-Mishra/dp/9383111356

Description

'ना बबुआ ना, बबुआ ना, रोइए नहीं। मैं आपके आँसू नहीं देख सकता।"

 

वे और रोने लगे। मैंने उनका सिर अपने हाथों में भर लिया और आँसू पोंछने लगा। वे बच्चे की तरह मेरी गोद में भहरा उठे।

 

कुछ देर बाद बोले, "कहाँ रहे दिन भर?"

 

"खेतों में आपके साथ घूमता रहा।"

 

"मेरे साथ?"

 

"हाँ, आपकी यादों के साथ।"

 

"अच्छा जाओ, खाना-वाना खा

 

लो।"

 

"नहीं बबुआ, आज तो मैं आपके साथ यहीं खाना खाऊँगा। यहीं आपके साथ सोऊँगा और बहुत दिन हो गए आपके मुँह से कहानी सुने हुए, कोई कहानी सुनूँगा।"

 

बबुआ आँसू भरी आँखों से मुझे देख रहे थे और लग रहा था कि वे एक बार फिर अपने पिछले दिनों में लौट गए हैं मेरे साथ।

 

 

वरिष्ठ कथाकार प्रो. रामदरश मिश्र के प्रस्तुत संग्रह की मार्मिक एवं संवेदनशील कहानियों में विविध प्रकार के चरित्रों, समस्याओं और स्थितियों को रूपायित किया गया है। रोमांचित एवं उद्वेलित करनेवाली हृदयस्पर्शी कहानियाँ।

-इसी संग्रह से