खाली घर

खाली घर

Author रामदरश मिश्र
Year of Issue 2005
Publication Name विमला बुक्स
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Description

जीवन की किसी मामूली-सी घटना प्रसंग, विचार या संवेदना में डॉ. रामदरश मिश्र अपनी कहानी के लिए अपेक्षित सामग्री जुटाकर एक ऐसी दुनिया की रचना कर डालते हैं जो हमारे अनुभव और बोध के अधिक समीप होती है। हम जैसे दुबारा और अपेक्षाकृत अधिक सावधानी के साथ अपने खुद के अनुभव-जगत में प्रवेश करते हैं-अपनी दुनिया को और उस दुनिया के बीच खुद अपने-आपको एक नए ढंग से प्राप्त करने के लिए। वे चीजें जिन्हें अब तक हमने देखकर भी नहीं देखा था, वे स्थितियाँ जिनको लेकर हमारे अन्दर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया पैदा नहीं हुई थी, वे समस्याएँ और वे प्रश्न जिनकी चुभन हमने अब तक महसूस की थी, अचानक हमें उत्तेजित और आन्दोलित करने लगते हैं। वस्तुतः अब तक की हमारी रंगहीन और आकारहीन दुनिया जो बेमेल और असम्बद्ध किस्म की घटनाओं की उपस्थिति का एहसास भर जगाती थी, एक नई सार्थकता ग्रहण करने लगती है। एक घटना दूसरी घटना के साथ कार्य-कारण के सम्बन्ध से जुड़ी दिखाई देने लगती है, वह या तो किसी पूर्ववर्ती घटना या परिणाम होती है, या उसका कारण उसमें मानव संकल्प, संवेदना, विचार और स्वप्न का संकेत मिलने लगता है।

 

मिश्रजी की अधिकांश कहानियाँ संस्मरणात्मक रूप में लिखी गई हैं-जैसे लेखक हमें विश्वास दिला देना चाहता है कि कहानियों में व्यक्त अनुभव उसके अपने खुद के जीवनानुभव का ही पुनर्नियोजित रूप है और जहाँ तक कहानियों में व्यक्त जीवन-संवेदन का सवाल है, वह मिश्रजी का खुद का अपना है 'भी। लेकिन मिश्रजी अपनी कहानियों में संवेदना को तर्क के रूप में इस्तेमाल करते हैं या यूँ कहें कि संवेदना के अन्तरवर्ती तर्क को सामने ले आना उसकी कहानियों का उद्देश्य होता है। मिश्रजी की कहानियाँ वस्तुतः जीवन की हिस्सेदारी की कहानियाँ है, इसीलिए वे मात्र हमारे हृदय की सोई हुई संवेदना को ही उद्बुद्ध नहीं करतीं, बल्कि उस वस्तु जगत का भी साक्षात्कार करती हैं जिसके घात-प्रतिघात से संवेदनाएँ जन्म लेती हैं। यही कारण है कि मिश्रजी की कहानियों में यथार्थ का जो रचनात्मक बिम्ब उभरता है, उसमें जीवन-सत्यों का ही नहीं सम्भावनाओं का भी संकेत समाहित रहता है।

 

- महावीर सिंह चौहान