अकेला मकान
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अकेला मकान
स्त्री वादी लेखक नया होते हुए भी मिश्र जी ने स्त्रियों की जो पीड़ा समझी है वह इस संग्रह में भलीभांत
Author | रामदरश मिश्र |
Year of Issue | 1999 |
Publication Name | नमन प्रकाशन |
Link | https://www.exoticindiaart.com/book/details/akela-makaan-ham356/ |
Description
अकेला मकान रामदरश मिश्र की नारी यातना मूलक कहानियों का संकलन है। मिश्र जी प्रगतिशील चेतना के लेखक हैं। प्रगतिशील दृष्टि हर प्रकार के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाती है और शोषित जन के पक्ष में खड़ी होती है। हमारे समाज में नारियाँ सबसे अधिक शोषित हैं उच्च वर्ग (शोषक वर्ग) से लेकर निम्न वर्ग (शोषित वर्ग) तक नारियाँ तरह-तरह से प्रताड़ित होती हैं। रामदरश मिश्र ने नारी-शोषण को बहुत निकट से देखा है और उसके दर्द का बड़ी गहराई से अनुभव किया है। उनका संवेदनशील मन बार-बार इस दर्द से आहत हुआ है और उनकी प्रगतिशील दृष्टि ने लगातार इस शोषण का विरोध किया है। उसने नारी के अकेलेपन, पराधीनता, तकलीफ, अपमान आदि के अनुभवों को नियोजित कर ऐसे कथा-बिम्बों की रचना की है जो पुरुष-प्रधान समाज की कुरूपता का उद्घाटन करते हुए नारी की संघर्षशीलता, ऊर्जा और अस्मिता बोध को व्यंजित करते हैं। इन कहानियों में तरह-तरह की नारियाँ हैं, उनकी तरह-तरह की तकलीफें हैं तरह तरह की नियति है और वे तरह तरह से अपनी नियति से लड़ रही हैं, तरह-तरह से उनका प्रतिरोध और अस्मिता बोध व्यक्त हो रहा है। निश्चय ही ये कहानियाँ अपने समग्र रूप में हमारे समय के भारतीय-नारी परिदृश्य की प्रामाणिक पहचान हैं।