मेरी कथा यात्रा

मेरी कथा यात्रा

Author रामदरश मिश्र
Year of Issue 2012
Publication Name इंद्रप्रस्थ प्रकाशन
Link के- 71,कृष्ण नगर, दिल्ली-110051

Description

कहानी सम्बन्धी आन्दोलनों के घेरे के बाहर वाले जिन कहानीकारों ने आधुनिक हिन्दी कहानी-साहित्य को प्रतिष्ठा दी है, उनमें रामदरश मिश्र प्रमुख हैं। जनवाद के विज्ञापित राजनीति-गंध से रहित देश के शोषित-पीड़ित लोगों के संघर्ष को आपने अपनी अधिकांश कहानियों की पृष्ठभूमि बनाया है। इसीलिए यह कहना बहुत सही लगता है कि उनकी कहानियों की संवेदना में नकली तेवर नहीं, यथार्थ का भीतरी नाद है और शिल्प में छद्म नवीनता के स्थान पर संवेदना के अनुकूल सहज प्रयोगधर्मिता है। वास्तव में रामदरश मिश्र की कहानियों में पीड़ा केन्द्रीय तत्त्य होती है। इसीलिए कथाकार के समस्त कहानी-संग्रहों में विविध कोणों से उठाई गई व्यापक मानवीय पीड़ा ही प्रमुख विषय प्रतीत होती है।

 

रामदरश मिश्र की कहानियों में यथार्थ के साथ भावुकता का सामंजस्य आलोचना का विषय हो सकता है, किन्तु कुल मिलाकर सार्थक लेखन की दृष्टि से उनकी कहानियों को ऊँचा आसन देना पड़ता है। उदात्त मानवीय मूल्यों को कथाकार नकार नहीं पाता, किन्तु जीवन की विसंगतियों के प्रति उनमें विद्रोह भाव का अभाव कहीं नहीं मिलेगा। समाज के पाखंडपूर्ण मुखौटों को अपनी रचनाओं में अत्यन्त निष्ठुरता के साथ उन्होंने उभारने का प्रयत्न किया है। एक ओर रामदरश मिश्र की कहानियाँ यथार्थ की कलात्मक अभिव्यक्ति बन जाती हैं और दूसरी ओर स्वतः ही जनवादी आदि जैसी शिविरबन्दियों से पृथक् हो जाती हैं। अपने परिवेश, समाज, जीवन, लोग और उनके अन्तरंग सुख-दुख से निष्ठापूर्वक जुड़े रहने के कारण कहानियों में जो सहज प्रभाव उत्पन्न हो जाता है, वही कथाकार को मान और मान्यता प्रदान करने के लिए पर्याप्त है।

- डॉ. विवेकी राय