श्रेष्ठ आंचलिक कहानियाँ
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Description
मूलतः रामदरश मिश्र प्राम-संवेदना के रचनाकार हैं। यही कारण है कि उनकी रचनाओं- कविता, कहानी, उपन्यास में उस गाँव की मिट्टी की आदिम गन्ध है जो भारतीय जन- जीवन की आधारशिला है। उन्होंने ग्राम बोध को गाँव तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसका विस्तार नगरों तक किया। यद्यपि आजादी के बाद गाँव टूटने लगे, आर्थिक तंगी के कारण गाँव के लोग नौकरी की तलाश में नगरों में बसने लगे तथापि नगरों में बस जाने के बाद भी गाँवों से जुड़ने की ललक उनमें शेष है हालांकि अपनी आर्थिक विवशताओं के कारण नगरों में बसे ये ग्रामीण, गाँव से जुड़ भी नहीं पाते। फलस्वरूप, एक निरन्तर द्वन्द्व में वे जीते रहते हैं। रामदरश मिश्र की ग्राम-जीवन की इन कहानियों के पात्र इसी द्वन्द्व के शिकार है जिसे हम 'खाली घर', 'माँ, सन्नाटा और बजता हुआ रेडियो', 'खण्डहर की आवाज' आदि कहानियों के कथानायकों में देख सकते हैं। उनकी अन्य कहानियों में भी हम ऐसे पात्र पाते हैं जो नगरों में बसे ग्रामीणों के तनावपूर्ण द्वन्द्व को जीते है। ये कहानियाँ गाँव और नगर के सन्दर्भों से जुड़े चरित्रों के द्वन्द्व को बड़ी बेबाकी से चित्रित करने में ही अपन। विशिष्ट पहचान बनाती हैं। यह स्वातन्त्र्योत्तर भारत की वास्तविकता है कि गाँवों के लोग शहरों में बस जाने के कारण गाँव से कटते जा रहे हैं और यह भी एक वास्तविकता है कि वे गाँव से कटने के दर्द से पीड़ित भी हैं, परन्तु उनका यह दर्द रोमानी नहीं है। यह दर्द अपनी गतिशील जीवन- धारा के मूल स्रोत से कटने का दर्द है जो एक कटु वास्तविकता है और जिसे रामदरश मिश्र जैसे ग्राम-संवेदना के धनी रचनाकार ने इस संग्रह की कहानियों में एक सायंक और सशक्त अभिव्यक्ति दी है।