मेरी प्रिय कहानीयाँ

मेरी प्रिय कहानीयाँ

Author रामदरश मिश्र
Year of Issue 1990
Publication Name साहित्य सहकार
Link 29/62बी, गली नंबर 11, एम.एस पार्क, ब्लॉक 17, विश्वास नगर, शाहदरा, दिल्ली, 110032

Description

रामदरश मिश्र के साहित्य की धुरी मनुष्य की चिता है और केंद्रीय तत्त्व है मानवीय करुणा। इन दो बातों को उनके साहित्य के आधार रूप में स्वीकार करके चलें तो उनकी कहानियों को बेहतर तौर पर समझा जा सकता है। रामदरश मिश्र की अधिकतर कहानियां परिवेश की अंतरंग पहचान देने वाली सामाजिक स्थितियों को धीरे-धीरे खोलती चलने वाली कहानियां हैं। परिवेशगत स्थितियों को जिस अंतरंगता से इनमें खोला गया है, वह लेखकीय दृष्टि का परिणाम है जिसमें स्थितियों को उलीचने की हड़बड़ी और निर्णय-निष्कर्षों तक पहुंचने की उतावली नहीं है। यह नहीं कि निर्णय यहां नहीं है पर उन तक पहुंच गया है यातनाओं और विसंगतियों के लम्बे दौर को तय करने के बाद ।

 

रामदरश मिश्र की कहानियों में साजाजिक स्थितियों के चित्रण-निरूपण के साथ उन्हें छीलते चलने की, परिवर्तन के लिए उन्हें नियोजित करने की विद्रोहात्मक रवैये में उन्हें ढालने की प्रवृत्ति भी मिलती है। यह प्रवृत्ति उनके अन्य रवैयों की तरह सामाजिक से वैयक्तिक और राजनीतिक धरातलों तक फैली हुई है।

 

रामदरश मिश्र की कहानियों में बड़े कथ्य को सहज ढंग से कहने की अपूर्व शक्ति है। सादगी और सहजता उनके कथाकार के ऐसे गुण हैं जो उनकी कहानियों में सर्वत्र मिलेंगे । रामदरश मिश्र की अधिकांश कहानियों में काव्यात्मक तत्त्वों का विन्यास मिलेगा। कहानी की संरचना में गुंथे हुए प्रतीक बिंब और भाषा का काव्यात्मक रुझान पात्रों की मनः- स्थितियों को खोलने में ही सहायक नहीं हुए हैं, कहानी के माहौल को बनाने में भी उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

 

- डॉ० नरेंद्र मोहन ('रचनाकार रामदरश मिश्र' से)