हँसी ओठ पर आँखें नम हैं

हँसी ओठ पर आँखें नम हैं

Author रामदरश मिश्र
Year of Issue 1997
Publication Name परमेश्वरी प्रकाशन
Link http://niilibrary.nii.res.in/cgi-bin/koha/opac-detail.pl?biblionumber=9821

Description

 

'हँसी ओठ पर आँखें नम हैं' मिश्र जी की समूची ग़ज़लों का संग्रह है। मिश्र जी ने कई विधाओं में सार्थक लेखन किया है। समय-समय पर ज़िलें भी कही है। यद्यपि वे ग़ज़ल को अपनी मुख्य शैली नहीं मानते और न दावा करते हैं इस क्षेत्र में, किन्तु इससे इनकी ग़ज़लों का महत्त्व कम नहीं होता। मिश्र जी की राजलों का विशिष्ट सौन्दर्य है। मिश्र जी के समूचे लेखन की बुनियादी विशेषता है उसकी अनुभवशीलता । - इस संग्रह की ग़ज़लों में कथ्य का वैविध्य है। इनमें जन सामान्य का दुख-दर्द है, मनुष्य की निजी पीड़ा और उल्लास है, मनुष्य तथा प्रकृति के सौन्दर्य की आभा है, प्रेम की चेतना है, आज के समय में व्याप्त अनेक विडंबनाएँ एवं विसंगतियाँ है, राजनीति, न्याय और धर्म के मानवीय मुखौटों के नीचे छिपी अमानवीय विकृतियाँ है। यह सारा सत्य कविता की भाषा में व्यक्त हुआ है। ये ग़ज़लें कवि के अनुभवों और संवेदना में पगी हुई है इसलिए इनमें अंतरंगता है, आत्मीयता है-गद्यात्मक कथ्य का हो-हल्ला नहीं है।

इन राज़लों में कवि ने आमफहम भाषा का प्रयोग किया

है इसलिए इनमें सादगी भी है, रवानी भी है और गहरी

प्रभावशीलता भी ।