हवाएँ साथ हैं
Description
'हवाएँ साथ हैं' रामदरश मिश्र की चुनी हुई गज़लों का संग्रह है। कई विधाओं में लिखन बाले मित्रजी ने गजल कहने का भी प्रयत्न किया है। यद्यपि वे बार-बार कहते हैं कि गजल न उनकी मुख्य काव्यशैली है न उस पर वे अधिकार अनुभव करते हैं लेकिन उनकी इस आत्म-स्वीकृति से उनकी गुजला का महत्व कम नहीं हो जाता। सबसे बड़ी बाल यह है कि मिधजी की अन्य अनेक रचनाओं की तरह उनकी गुजलों की भी अपनी विशेष पहचान है। वे किसी और की तरह नहीं अपनी तरह लिखते हैं। ये गजले अपनी शक्तियों और सीमाओं के साथ रामदरश मित्र की गुज़लें लगती हैं। मिश्रजी ने प्रायः खंड-खंड मुक्तियों की जगह परिवेशगत जीवन की अनुभव-यात्राओं को महत्त्व दिया है। वे गुजलें कई बार गीत की तरह एक भावभूमि पर चलती हैं और एक संश्लिष्ट वस्तु-विम्य की रचना करती है। अपनी देशी जमीन, घर, ऋतु, मौसम आदि की गहरी संवदेनाओं से स्पंदित ये गुज़लें आधुनिक जीवन की विसंगतियों से टकराती चलती हैं और कवि की मानववादी प्रगतिशील दृष्टि इन विसंगतियों की गुलाज़त के बीच खोमी उस सौन्दर्यचेतना और मूल्य-बोध की रेखांकित करती है जो जीवन-यात्रा के वास्तविक पायेय हैं, जिनसे दुनिया जीने लायक बनती है। इन गुज़लों की भाषा का भी अपना आकर्षण है। इनकी भाषा लोकजीवन में व्याप्त बोलचाल की भाया है जिसके लिए पाठक को उर्दू या हिन्दी का शब्दकोश नहीं देखना पड़ता। कवि ने बोलचाल की भाषा में ही नया रचनात्मक स्पंदन पैदा किया है, जिससे भाषा अपनी सहजता में ही एक गहरी अनुगूँज छोड़ आती है।