इनकी उनकी आरती
उतारता ही रह गया
दूसरों के ख्वाब वो
संवारता ही रह गया
रथ विकास का बढ़ा
चला गया तना हुआ
साथ के लिए खड़ा
पुकारता ही रह गया
रामदरश मिश्र