धूप के टुकड़े

धूप के टुकड़े

Author रामदरश मिश्र
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Description

इनकी उनकी आरती

उतारता ही रह गया

दूसरों के ख्वाब वो

संवारता ही रह गया

रथ विकास का बढ़ा

चला गया तना हुआ

साथ के लिए खड़ा

पुकारता ही रह गया

 

रामदरश मिश्र